निष्ठावान कार्यकर्ताओंमे कोई राजनीतिक गुणवत्ता नहीं क्या ?


  सभी राजनितिक पार्टीयोने कार्यकर्ताओ को देना चाहिए जवाब.

 अपनी ही पार्टीयो मे निष्ठावान कार्यकर्ता हो गये है उपेक्षित.

  चापलुसो को आये है अच्छे दिन.

 उत्तम ब्राह्मणवाडे

 वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र अत्यंत कारपोरेट हो गया है।  राजनीतिक दलों में कार्यकर्ता द्वारा दलीयनिष्ठा,त्याग,पार्टी संगठन में बिताया गया जीवन हमेशाके लिये इतिहास जमा हो गया है। इलेक्शन मे कार्यकर्ताओ को उमेदवारी देते  समय कार्यकर्ताओं की ईमानदारी और निष्ठा की जांच के दिन भी इतिहास बन गये हैं. ? अब एक उम्मीदवार का मूल्य उसकी वित्तीय समृद्धि और वैकल्पिक योग्यता पर मापा जाता है।  इसके बाद उम्मीदवार की जाति उसकी गुणवत्ता से अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है।

   मनोनयन के मापदंड में बदलाव से जीवन भर पार्टी का झंडा कंधे पर उठाने वाला कार्यकर्ता हमेशा संकट में रहा है.  चूंकि सभी राजनीतिक दल जाति,धन और वैकल्पिक योग्यता की जांच करके टिकट देने के नए कदम को लागू कर रहे हैं, इसलिए चुनाव में आयाराम और गयाराम को सुनहरे दिन मिल गए हैं। चूँकि पार्टी का वर्चस्व इस समीकरण को समायोजित करता है कि पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने का इच्छुक उम्मीदवार चुनाव में कितना पैसा खर्च कर सकता है, इसलिए यह एक अलिखित नियम बन गया है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को केवल सतरंजी को उठाने का काम करना चाहिए क्या यह सवाल उपस्थित हो रहा है।  राजनीति के इस बाजारीकरण के कारण दलीय निष्ठा को खूंटी पर लटकाने के दिन आ गये हैं।  जीवन भर अपने घरपर तुलसी के पत्ते रखकर नेताओं पर वाहवाही करने वाले कार्यकर्ताओं ने शान से पार्टी का झंडा कंधे पर उठाने वाले प्रत्याशी को चुना। कार्यकर्ताओ पर अनेको बार आंदोलन,प्रदर्शनके  मामले दर्ज किए गए हैं. ओर इसी मे कार्यकर्ताओ की जिंदगी की शाम  बीत गई, लेकिन उनपर दर्ज अपराधों की तारीखें अभितक जारी हैं और कोर्ट-कचहरी की हवाएं भी जारी हैं। 
 ऐसे ईमानदार कार्यकर्ताओं को जीवन भर तलवार उठाने के लिए क्या सभी राजनितिक पार्टीया मजबूर करेगी क्या ?  जो लोग इलेक्शन के समय पर पार्टी में शामिल होते हैं,ओर मुंबई, दिल्ली जाकर पैसे वरिष्ठ नेता को पैसे दे अपनी उम्मीदवारी लाते हैं, उनके चरणों में निष्ठावान कार्यकर्ता क्यों अपने कदम रखें ? 

 जमीनी स्तर पर काम करते हुए घर में तुलसी के पत्ते रखने वाले कार्यकर्ताओं का सम्मान यह राजनीतिक पार्टीया कब करेगी ?  आगामी होनेवाले लोकसभा, विधानसभा चुनाव में यही निष्ठावान कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को बाहर करने वाले राजनैतिक पार्टियो को  अपनी दिखाए बिना नहीं रहेंगी, लेकिन उतनी ही महत्वपूर्ण बात यह है की,राजनीतिक पार्टियां किसी की चुनावी योग्यता की जांच करती हैं, यानी वास्तव में वे क्या जांचती हैं।  पार्टी नेताओं को आम निष्ठावान कार्यकर्ताओं को इस बात का भी जवाब देना चाहिए.

चापलूसी करनेवाले के अच्छे दिन....

आजकल सत्ताधारी पार्टीयो में जनप्रतिनिधियों के आगे पीछे घूमनेवाले,हररोज उनके पैर छुनेवाले और हररोज उन जनप्रतिनिधियों के कान भरनेवाले कार्यकर्ताओकी भरमार हो गई है। जैसे कान भरनेवाले कार्यकर्ता आज सभी राजनीतिक पार्टियों के पास दिखाई पड़ते है हालाकि जनता में इनकी कोई कीमत नहीं हैं और ना ही इनके पीछे कोई वोट बैंक ये संधी साधु कार्यकर्ता कहलाते है और जिनकी चलती रहती हैं उनके आगे पीछे करना इनका एकमात्र काम है। पर इनकी वजह से जो प्रामाणिक और निष्ठावान कार्यकर्ता है वह आज हर पार्टियों में दरकिनार हो गया है। और ऐसे हल्के कानवाके जनप्रतिनिधीयो के कारण इन चापलूस कार्यकर्ताओं की चांदी नजर आ रही है। इसिके चलते उनके अच्छे दिन आ गए हैं। और निष्ठावान कार्यकर्ता के बुरे दिन पर यह बात कोई नई नही है इस और सभी राजनीतिक पार्टियों ने ध्यान देना चाहिए नहीं तो उनके भी बुरे दिन आनेमे देर नहीं लगेगी।

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